आईडीआरबीटी और आईआईआईटी हैदराबाद ने सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए

IDRBT, IIIT-Hyderabad ink MoU to explore collaboration
IDRBT और IIIT-हैदराबाद ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) के क्षेत्र में क्रांतिकारी अनुसंधान को बदलने के लिए ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत की उभरती हुई वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए अनगिनत संभावनाओं वाली एक महत्वपूर्ण घटना में, वित्तीय प्रौद्योगिकी में अग्रणी संस्थानों में से एक, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी हैदराबाद (आईआईआईटी-हैदराबाद) ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई) के क्षेत्र में एक व्यापक सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस समझौते के हस्ताक्षर 22 दिसंबर, 2025 को IIIT-हैदराबाद में हुए, जो दोनों संस्थानों के बीच एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो बैंकिंग और वित्तीय प्रौद्योगिकी में अग्रणी अनुसंधान में शामिल हैं। इस ऐतिहासिक समझौते के शिखर पर हैं प्रोफेसर संदीप शुक्ला, IIIT-हैदराबाद के निदेशक, और डॉ. दीपक कुमार, आईडीआरबीटी के निदेशक, जिन्होंने इस क्रांतिकारी सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता को सील करने के लिए साझा मंच साझा किया।

इस ऐतिहासिक घटना को देख रहे थे प्रोफेसर एच. कृष्णमूर्ति, दोनों संस्थानों के शासन परिषदों के सदस्य और एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ, जिन्होंने पहले आईआईएससी बेंगलुरु में काम किया है। प्रोफेसर कृष्णमूर्ति ने शीर्ष अकादमिक संस्थानों और उद्योग नेताओं के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे IDRBT और IIIT-H के बीच एक नए युग की साझेदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

इस समझौते की परिधि विस्तृत और बहुस्तरीय है, जिसमें संस्थागत सहयोग के कई आयाम शामिल हैं। इसके केंद्र में एक साझा प्रतिबद्धता है शैक्षिक और अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए, जिसमें दोनों संस्थानों ने वित्तीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर शोध करने वाले शोधकर्ताओं के लिए PhD कार्यक्रम प्रदान करने का सहमति जताई है। इन शोध क्षेत्रों में शामिल हैं डिजिटल भुगतान, साइबर सुरक्षा, कमजोरी प्रबंधन, ग्राहक अनुभव के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग, क्रिप्टोग्राफी, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, और फंगिबल और नॉन-फंगिबल टोकन्स।

शैक्षिक क्षेत्र से परे, समझौते में वित्तीय सेवा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की मानकीकरण और सत्यापन, डोमेन-विशिष्ट छोटे भाषा मॉडल (एसएलएम) के विकास, साइबर सुरक्षा पहल, और वित्तीय सेवाओं में उपयोगकर्ता अनुभव का सुधार के लिए एक साझा प्रतिबद्धता भी शामिल है। इसके अलावा, साझेदारी का उद्देश्य दोनों संस्थानों के संयुक्त प्रभाव और क्षमता का उपयोग करके सार्वजनिक कल्याण के लिए सहयोग के क्षेत्रों का अन्वेषण करना है।

इस समझौते का एक महत्वपूर्ण पहलू है कौशल विकास और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना। समझौते में छात्रों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रमों और वित्तीय सेवा क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए प्रावधान शामिल हैं, जिससे एक पाइपलाइन बनती है जिसमें उभरती हुई वित्तीय प्रौद्योगिकियों में उद्योग-तैयार विशेषज्ञता से सुसज्जित पेशेवरों का निर्माण होता है।

इस साझेदारी का महत्व बहुत अधिक है। बीएफएसआई क्षेत्र के लिए, यह भारत के वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में शोध और विकास क्षमताओं को मजबूत करता है, जिससे दोनों संस्थानों को वित्तीय सेवा उद्योग में वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सकता है। शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए, PhD कार्यक्रमों की स्थापना दोनों संस्थानों के साथ-साथ दुनिया के शीर्ष सुविधाओं और विशेषज्ञता तक पहुंच प्रदान करती है, जिससे बीएफएसआई संबंधित प्रौद्योगिकियों में नवाचार को तेजी दी जा सकती है।

प्रौद्योगिकी मानकीकरण के लिए, वित्तीय सेवा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की मानकीकरण और सत्यापन के लिए एक साझा प्रतिबद्धता भारत के वित्तीय प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं और उद्योग मानकों की स्थापना में योगदान कर सकती है। अंततः, यह साझेदारी भारत की उभरती हुई वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अकादमिक और उद्योग के बीच सहयोग के एक नए मॉडल को स्थापित करने के लिए तैयार है, जो नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।

इस घोषणा की महत्वपूर्ण जानकारी को कई विश्वसनीय स्रोतों से पुष्ट किया गया है, जिनमें आधिकारिक संस्थानों की वेबसाइटें और समाचार आउटलेट शामिल हैं, जिससे इस महत्वपूर्ण घटना की सत्यता की पुष्टि होती है। भारत वित्तीय प्रौद्योगिकी नवाचार के केंद्र क

📰 स्रोत: The Hindu - National

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