रेल टिकट की कीमतें बढ़ाने का फैसला: मोदी सरकार ने लोगों को लूटने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा, खarge ने कहा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खARGE ने मोदी सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि सरकार ने एक बार फिर से लोगों को लूटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। यह फैसला 26 दिसंबर 2025 को होने वाले यूनियन बजट से पहले आया है। सरकार ने रविवार को एक बड़ा एलान किया है जिसके तहत लंबी यात्राओं से 600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
इस फैसले के तहत, 215 किमी से अधिक की यात्राओं के लिए 1 पैसे प्रति किमी और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के नॉन-एसी क्लास और सभी एसी क्लास के लिए 2 पैसे प्रति किमी की दर से टिकट की कीमतें बढ़ाई जाएंगी। हालांकि, उपनगरीय सेवाओं और मासिक सीज़न टिकट (एमएसटी) धारकों को छूट दी गई है, जिससे लोगों को बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ेगा। यह एक साल में दूसरी बार रेल टिकट की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं और खARGE की आलोचना सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर है।
"लोगों को लूटने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना" - यह खARGE के मंगलवार के एक पोस्ट में कहे गए शब्द हैं। उनकी आलोचना सरकार के दावे के विपरीत है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने रेलवे की देखभाल की है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2023 के बीच रेलवे दुर्घटनाओं में 2.18 लाख लोगों की मौत हुई है, जो एक अस्वीकार्य संख्या है। इसके अलावा, अमृत भारत योजना के तहत 453 स्टेशनों के उन्नयन के लिए केवल एक ही स्टेशन पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
कांग्रेस के विपक्ष ने इस फैसले को आम लोगों पर और विशेष रूप से बुजुर्गों पर और भी बोझ डालने के रूप में देखा है, जो पहले से ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट के बिना जूझ रहे हैं। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने 2024 में 2,604 करोड़ रुपये की हानि की रिपोर्ट दी है, जिससे भारतीय रेलवे की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं। वंदे भारत ट्रेनों की औसत गति 76 किमी/घंटा है, जो इसके दावे के विपरीत है जिसमें कहा गया है कि यह 160 किमी/घंटा की गति से चलती है।
रेलवे मंत्रालय और सरकार ने इस फैसले को लंबी यात्राओं के लिए नाममात्र के रूप में देखा है और कहा है कि यह राजस्व पैदा करने के लिए है। उन्होंने उपनगरीय और एमएसटी उपयोगकर्ताओं को छूट देने के लिए स्पष्ट रूप से कहा है ताकि दैनिक यात्रियों को राहत मिल सके। हालांकि, कांग्रेस के विपक्ष अभी भी अनिश्चित है, जिसमें उन्होंने समय और सरकार द्वारा लंबित मुद्दों को संबोधित करने के लिए कोई वास्तविक प्रयास नहीं किया है।
इस फैसले के साथ ही, रेलवे के आधुनिकीकरण के प्रयासों का एक व्यापक संदर्भ है, जिसमें अमृत भारत स्टेशन योजना शामिल है जिसका उद्देश्य 453 स्टेशनों का उन्नयन करना है। हालांकि, प्रगति की गति और कमी के साथ, सरकार की प्राथमिकताओं और लोगों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए हैं।
इस फैसले के परिणाम बहुत व्यापक हैं, जिसमें लंबी दूरी की नॉन-एसी और सभी एसी यात्राएं 2 पैसे प्रति किमी की दर से बढ़ी हुई लागत का सामना करेंगी। इससे यात्रियों को और भी बोझ पड़ सकता है, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए जिन्हें छूट नहीं मिलेगी, जो अनुमानित 8,913 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाएंगे। दूसरी ओर, रेलवे को 600 करोड़ रुपये का लाभ होगा जो संचालन और बुनियादी ढांचे के लिए होगा।
इस फैसले के साथ, विपक्ष ने सुरक्षा लापरवाही, धीमी परियोजनाओं और पहले के बढ़ोतरी के प्रभावों को दिखाया है जो रेल यात्रा के लिए आम लोगों की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इस फैसले के साथ, सरकार की प्राथमिकताओं और लोगों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेरा ने इस फैसले को "गुप्त" कहा है, जो कांग्रेस के विपक्ष के विचारों को दर्शाता है। राष्ट्रीय हेराल्ड और एएनआई ने खARGE के "लूट" के आरोपों और बजट से पहले समय के बारे में चिंताओं को बढ़ावा दिया है, जबकि इकोनॉमिक टाइम्स ने राजस्व अनुमान और संरचना पर ध्यान केंद्रित किया है बिना आलोचना के समर्थन किया है। हालांकि, मुद्दा अभी भी विवादास्पद है, जिसमें सरकार और विपक्ष एक गर्म बहस में फंस गए हैं जिसमें फैसले के मूल्यों पर बहस हो रही है।
इस बहस के बीच, एक बात स्पष्ट है: आम लोगों को बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ेगा, जिसे आलोचना के लिए कमी और समय के लिए किया जा रहा है। मोदी सरकार का फैसला यूनियन बजट से पहले रेल टिकट की कीमतें बढ़ाने का फैसला करने के लिए आलोचना का विषय बन गया है, जिसमें लोगों ने सरकार के मकसद के बारे में सवाल उठाए हैं।
📰 स्रोत: The Hindu - National